Saturday, August 30, 2008

दूसरा जनम

शाम होते ही परछाइयों के कद लम्बे होने लगे
आज िफर से वो मेरे खयालो मे खोनेे लगे !!
प्यार का इज़हार तो कब का हो चूका
अब तो प्यार मे जीने मरने के वादे होने लगे !!
तेरे िबना जीना अब मुमिकन नहीं है मेरा
मेरे िबना भी जीना आसान नहीं है तेरा !!
आ आज वादा करें िमलकर इक दूजे से हम
जी न सके साथ अगर तो लेंगे दूसरा जनम हम !!