Sunday, August 10, 2008

लेंगे दुसरा जनम हम

कोई कहे दिल की सुनो कोई कहे दिमाग की
परेशान मन उलझन मे है क्या करे सुने किसकी !!
दिमाग कहे उसे भूल जा दिल कहे उससे दूर न जा
क्या करूँ क्या न करूँ कुछ समझ मे आता नहीं !!
भूल कर तुझे न जी पाउंगा मैं ये जानती है तूं
दूर गया तुझसे मर जाऊंगा ये भी जानती है तूं !!
फिर क्यों मानती है दिल की ये बता दे मुझे
दूर होकर मुझसे न जी पायेगी ये पता है तुझे !!
अब लगता है फैसलें की घडी आयी है आज
मान ले दिल की और खोल दे सारे राज़ !!
ना जी पायेगी मेरे बिन ये जानती है तूं
मै भी न जी पाउँगा तेरे बिन मानती है तूं !!
आ वादा करे आज मिलकर एक दुसरे से हम
ना मिल पाए इस बार तो लेंगे दुसरा जनम हम !!