Friday, August 29, 2008

मेरे जज़्बात मेरी आवाज़

कभी कभी सोचता हूँ मैं जाग रहा हूँ
तुझे कैसे नींद आ जाती होगी
तूं जागे या सोये लेकिन मैं जानता हूँ
तुझे मेरी याद हर पल सताती होगी !!
खुद से उपर उठ कर सोचना चाहा
जब मैंने तेरी याद और भी सताने लगी
लाख कोशिशें की तुने मुझे से दूर जाने की
तूं और पास मेरे बहुत पास आने लगी !!
तेरी चुप से मेरे दिल पर क्या गुज़रती है
मेरी चुप ने तुझे अहसास दिलाया तो होगा
आज मेरी आवाज़ न सुन पाई है तूं
तेरे दिल मे बुरा ख़याल आया तो होगा !!
डर से तेरी रूह कांप गयी होगी आज
तू तड़प रही है सुनने को मेरी आवाज़
इधर भी कुछ ऐसे ही हैं हालात
तड़प मे भी रहा हूँ काबू मे नहीं जज़्बात!!