Thursday, August 21, 2008

रूह का प्यार

ये कैसी उलझन ये कैसी कशमकश है इस पल
क्यों तूं सोचती है इतना इस तरह इस कदर !!
कुछ गलत नहीं है तेरे मेरे बीच ये जान ले तूं
हमारा प्यार रूह का है इस सचाई से हो तूं रूबरू !!
जी नहीं सकती तूं मेरे बिना और मैं तेरे बिना
इक दुसरे के बिना हम भूल गए है जीना !!
हम अगले जनम की बात करते हैं मिलने को
लेकिन ये जनम भी कम लग रहा है जीने को!!
आ इस जनम मे जी लें हम कुछ इस कदर
अगले जनम का वादा भी निभाएं मरकर !!