जहा देखो हम ही हम हैं
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं
जो देखा उसके दिल् मैं तो
मेरे लिए क्या मुहब्बत कम है
यूँ ग़लतफहमी मे जिए कब तक
और ख़ुद पर ज़ुल्म ढाए कब तक
जीना दुश्वार सा लगने लगा है
हमे अब ख़ुद से डर लगने लगा है
ख़ुद से भी डरें तो कब तक
इतना ज़ुल्म ढाए तो कब तक
क्योंकी.......
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं
jo rukh zyadaa uchche ne oh kade chhavaa nahi करदे
जिन्ना दी फितरत विच दगा ओह कदे वफ़ा नहीं करदे
जो रुख ज्यादा उच्चे ने ओह कदे छावा नहीं करदे