Saturday, July 26, 2008

न दे मुझे ये सज़ा

मेरी गलितयों की इतनी बड़ी सज़ा न दे मुझे
जी न पाउँगा मैं तेरे िबन खो कर तुझे !!
मुझे दे दे माफ़ी या अपने हाथो से दे ज़हर
न छोड़ मुझे यूँ िजदा न ढहा ये कहर !!
तूँ जानती है "तनु" मैं न रह पाउँगा तेरे िबन
िजदगी है थोडी अब मेरी िगन रहा हूँ िदन !!
आज रोया हूँ तेरे सामने िजदगी मे पहली बार
तूँ भी जानती है मैं िकतना करता हूँ तुझसे प्यार !!
जो ज़ख्म आज खाए हैं मैंने अपने बदन पर
वो ज़ख्म जा कर लगे हैं मेरे िदल पर !!
आज ये वादा है मेरा तुझसे ऐ मेरे खुदा
मै ना जी पाउँगा गर हो गया उससे जुदा !!