Friday, July 25, 2008

ख्वाइशे

रोज़ रोज़ उनसे िमलने की ख्वाइशे बढ़ने लगी
इस प्यार मै अब ये िजंदगी भी छोटी लगने लगी
उनके हर इनकार मै इकरार नज़र आता है हमे
आँखों में बेइन्तेहा प्यार नज़र आता है हमे
जान दे सकते है उनके िलए ये बता देंगे हम
आसमा को भी जमी पर उतार लेंगे हम
लोग चाँद को पाने की हसरत रखते हैं
इस चाँद को तो कब का पा चुके हम !!