Friday, July 25, 2008

मेरी आंखे

तेरे इंतज़ार मै खुली रहती हैं ये आंखे हर पल
सुबह से शाम तेरे इंतज़ार मे रहती हैं हर पल
न दिन को चैन न रात को आराम है इनको
जिसे भी देखो अब वो पागल कहता है मुझको
ये मेरा प्यार है कैसे बताऊ सब को
कोई नहीं जनता की मै कितना चाहता हूँ तुझको
तेरे इंतज़ार मै खुली रहेंगी ये आंखे मर कर भी
जीते जी मै भुला ना पाउंगा तुझे चाह कर भी
मौत का अब खौफ नहीं है मुझे ये तुझे बता दूं
तेरी इन आँखों पर मै अपनी कई जिंदगियां लुटा दूं
या खुदा अब तो बस तुझसे ये फिरयाद है मेरी
मुझे देदे वो मेरा प्यार जिसमे बसी ज़िन्दगी है मेरी