Wednesday, November 19, 2008

पतझड़



मुझे मौत भी न आई और मै मर भी गया
मेरी जीत भी न हूई और मै हार भी गया !!
उसने छोडा भी नही उसने रखा भी नहीं
उसने आग भी ना लगाई और मै जल भी गया !!
इस प्यार की नदी मे उसकी याद की नदी मे
मै डूबता भी रहा और मैं तैरता भी गया !!
उसे देखा जब मैंने किसी और की डोली जाते
मुझसे देखा भी न गया और मै सह भी गया !!
मै बन गया वृक्ष सहे तेरे बे रहम दुःख
पतझड़ भी ना आया और मे झड़ भी गया !!