Sunday, November 16, 2008

जीने की आस


आज दिल की कहने को जी करता है
तेरे दिल मे रहने को जी करता है !!
खुशियाँ दे कर तुझे
तेरे गम सहने को जी करता है!!
खुदा जाने तेरा मेरा क्या रिश्ता है
आज तुझे अपना कहने को जी करता है !!
जो दर्द हिजर मे रिसते हैं
उस दर्द का तुझे अहसास नहीं !!
जो इश्क मुकाम न पा सका
उस दर्द का पन्ना याद नहीं !!
वक़्त हो चला अब फैसले का पर
तेरी जिद्द के सिवा कुछ पास नहीं !!
जीना मै भी चाहता हूँ तेरे साथ
पर मेरे जीने की
अब कोई आस नहीं !!