Monday, November 10, 2008

पाबंदियां


लोग दूसरों पर पाबंदियां लगाते हैं
तुने खुद पर ये ज़ुल्म क्यों ढहाया !!
वो पंछियों को पिंजरों मे डालते हैं
तुने खुद के लिए पिंजरा क्यों बनाया!!
तेरी इन पाबंदियों का मुझ पर जो असर हुआ
देख उन पाबंदियों ने मेरा क्या हाल बनाया !!
मेरे दर्द को तुने भी महसूस किया है हर पल
चाह कर भी मेरे ज़ख्मो पर मरहम क्यों न लगाया !!