पता नहीं क्यों दिल् रंगीले ख्वाब सजा लेता है क्यों इक नया गम जिंदगी को लगा लेता है !! जब पता है खवाबो ने टूट ही जाना है फिर क्यों सूखे पत्तों और टहनियों का घोंसला बना लेता है !! पर क्या करें कुछ दिल् ही ऐसा दिया खुदा ने जो हरेक को अपना बना लेता है !! उनकी पाक मुहब्बत का फ़र्ज़ हम चुकाएं कैसे जिन्हें माना रब से ज्यादा उन्हें झुकाएं कैसे !!
ना जाने उनके दिल् मे क्या है जो चुपचाप मुझे भुलाये बैठे हैं !! कई बार तो खुदाया यूं लगे है वो मुझे गलत समझ कर बैठे हैं !! खुद ही कहते थे साथ निभाएंगे अब औरों मे मसरूफ होकर बैठे हैं !! खुदा खुश रखना मेरे उन अपनों को जो मुझे याद भी करने से रह गए हैं!!
ये जिंदगी इतनी छोटी है कहीं रूठने मनाने मे ना निकल जाये !! ये कीमती पल मेरे सजना कही यकीन दिलाने मे ना निकल जाये !! तेरे बिना मैं रह नहीं पता ये याद करने मे न निकल जाये !! तुझे कैसे बताऊँ मैं सिर्फ तेरा हूँ कहीं जिंदगी यही समझाने मे न निकल जाये !!
मुझे मौत भी न आई और मै मर भी गया मेरी जीत भी न हूई और मै हार भी गया !! उसने छोडा भी नही उसने रखा भी नहीं उसने आग भी ना लगाई और मै जल भी गया !! इस प्यार की नदी मे उसकी याद की नदी मे मै डूबता भी रहा और मैं तैरता भी गया !! उसे देखा जब मैंने किसी और की डोली जाते मुझसे देखा भी न गया और मै सह भी गया !! मै बन गया वृक्ष सहे तेरे बे रहम दुःख पतझड़ भी ना आया और मे झड़ भी गया !!
तेरे गम ने मुझे कलम पकडाई मजबूर किया कुछ लिखने को !! जब भी रब से कोई सौगात मांगूंगा हर जनम मे तेरा ही साथ मांगूंगा !! लगे न हमारे साथ को किसी की नज़र यही दुआ मे रब से दिन रात मांगूंगा !! हर जनम से पहले इस जनम की बात करें न छोड़ हौसला आ खुल कर प्यार करें !! बस इक इल्तजा है मेरी आज यही मांगना है खुदा से तो मिलन मांग, न मांग जुदाई !!
नींद आये तो खवाबों मे तूं और ना सौउं तो मेरी यादो मे तूं !! तेरे आगे खुद को भी हार बैठा हूँ एक दिल् था मेरे पास जो तुझ पर वार बैठा हूँ !! मौत पर भी मुझको यकीन तुझ पर भी ऐतबार है देखें पहले कौन आता है, मुझे दोनों का इंतज़ार है !! और तूं रोई तो बहुत पर मुँह मोड़ कर रोई शायद मजबूर होगी जो मेरा दिल् तोड़ कर रोई !! मेरे ही सामने कर के मेरी तस्वीर के टुकड़े मेरे जाने के बाद उसे जोड़ जोड़ कर खूब रोई !!
आखिरी है ये अलविदा ये सलाम आखिरी है मेरे लबों पर उनके लिए पैगाम आखिरी है !! मैखाने में ख़त्म हुई, और मुझे अब पीनी नहीं टूटे हुए पैमाने और ये जाम आखिरी है !! बस वो चुप चाप से बैठे है आज लेकिन उनके दिल मे मेरे लिए इक इल्जाम आखिरी है !! आखिरी है मुलाकात मेरे यार के साथ आज उनकी ये सुबह मगर मेरी ये शाम आखिरी है !!
आज दिल की कहने को जी करता है तेरे दिल मे रहने को जी करता है !! खुशियाँ दे कर तुझे तेरे गम सहने को जी करता है!! खुदा जाने तेरा मेरा क्या रिश्ता है आज तुझे अपना कहने को जी करता है !! जो दर्द हिजर मे रिसते हैं उस दर्द का तुझे अहसास नहीं !! जो इश्क मुकाम न पा सका उस दर्द का पन्ना याद नहीं !! वक़्त हो चला अब फैसले का पर तेरी जिद्द के सिवा कुछ पास नहीं !! जीना मै भी चाहता हूँ तेरे साथ पर मेरे जीने की अब कोई आस नहीं !!
लोग दूसरों पर पाबंदियां लगाते हैं तुने खुद पर ये ज़ुल्म क्यों ढहाया !! वो पंछियों को पिंजरों मे डालते हैं तुने खुद के लिए पिंजरा क्यों बनाया!! तेरी इन पाबंदियों का मुझ पर जो असर हुआ देख उन पाबंदियों ने मेरा क्या हाल बनाया !! मेरे दर्द को तुने भी महसूस किया है हर पल चाह कर भी मेरे ज़ख्मो पर मरहम क्यों न लगाया !!
रो रो कर मेरी आँखों के आंसू भी सुख गए दिल मे बसे मेरे सारे अरमान भी टूट गए!! मेरे यार ने ना की कदर मेरी यारी की हम उसे मनाने के लिए उसके क़दमों मे झुक गए !! वो बाज़ न आया मुझे बार बार आजमाने से हम प्यार के इम्तिहान देते देते पुरे टूट गए !!
खेल बहुत बचपन मे खेले पर न जाने ये कैसा खेल हुआ इक यार ऐसा बना बैठे ना बिछुड़ सके न मेल हुआ !! दिल अपना टूटा कुछ ऐसे टुकड़े टुकड़े बिखर गया फिर भी इल्जाम हम पर लगा दिल उनका क्यों तोड़ दिया !! किसको गिला करे आज शिकवा किस से करे हम दिल ऐसे टुटा है आज किसे बताएं अपना गम !! हिम्मत टूट रही है जीने का नहीं मन अब मेरा भ्रम टूट गया है अब मैं समझा था मैं हूँ तेरा !! खताएं मेरी माफ़ करना बहुत नादान हूँ मैं आज आखिरी सलाम कर लूं फिर चलता हूँ मैं !!
जहा देखो हम ही हम हैं
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं
जो देखा उसके दिल् मैं तो
मेरे लिए क्या मुहब्बत कम है
यूँ ग़लतफहमी मे जिए कब तक
और ख़ुद पर ज़ुल्म ढाए कब तक
जीना दुश्वार सा लगने लगा है
हमे अब ख़ुद से डर लगने लगा है
ख़ुद से भी डरें तो कब तक
इतना ज़ुल्म ढाए तो कब तक
क्योंकी.......
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं