Tuesday, September 2, 2008

सचा प्यार

कोई समझाए उसे की प्यार नसीबों से िमलता है
ये ऐसा फूल है जो खुशिकस्मतों के िदलों मे िखलता है !!
ठुकरा दोगे गर इसे तो पछताओगे रोओगे अपने नसीब पर
छुट गया हाथ से सचा प्यार न आएगा िफर से लौट कर !!
अगले जनम की क्या बात करे हम आज िफर से
इस जनम मे न पाया तो अगले जनम की बात करेंगे िकस से !!
पूछूँगा भगवान् से गर िमला कभी िकसी जनम मे
गर देनी थी जुदाई तो क्यों जगाया प्यार िदलों मे !!
मांग लूँगा तुझे उस िदन खुदा से सब कुछ लुटा कर
गर देंगा नहीं वो तो छीन लूँगा अपनी जान भी देकर !!