Tuesday, September 2, 2008

अंितम िबदाई

आज मौत मेरे दरवाज़े खड़ी है
अंितम समय िबदाई की घडी है!!
उन्हें है मेरे प्यार पर शक
लगता है मेरा उनपर नहीं कोई हक!!
िजदगी हाथों से िफसल रही है
लगता है मौत मुझे िनगल रही है ै!!
जाने का वक़्त नज़दीक है आया
पर क्यूँ लगा की उसने मुझे है बुलाया!!
कब तलक यूँ देंगे खुद को झूठा िदलासा
अब तो ख़तम हो गयी है जीने की आसा!!
वक़्त आया है जाने का दो िबदाई मुझे
न रोना मेरे िलए अब ये कसम है तुझे!! !!