Saturday, September 27, 2008

चुभन

िमलन के बाद जुदाई क्यों है
प्यार मे ये रुसवाई क्यों है !!
सीने मे प्यार की चुभन क्यों है
िंदल मे आज ऐसी घुटन क्यों है !!
चाह कर भी िंदल मे कोई तमन्ना क्यों नहीं
तू नहीं तो ये िंजदगी भी िंजदगी क्यों नहीं
!!
िकसकी रुसवाई से आज
मै अब डरु
अगर तू नहीं तो
मै अकेला जी कर क्या करू !!
समझता मै भी हूँ इन हालातो को इस कदर
तूं ना िमली मुझे तो भटकता िफरूंगा दर बदर !!
िजदगी मौत से बदतर लगती है तेरे न होने के खयालो से
खुद को क्यों िघरा पाती है बेमतलब के सवालों से !!
नामुमिकन है जीना इक दूजे के िबन अब
ये बात तेरे समझ मे आयेगी कब !!
सचाई से न भाग मेरी बात को मान
बातों को समझ और खुद को पहचान !!
यही सचाई है अब तेरे मेरे प्यार की
तुझसे िमलने से पहले तो िजंदगी ही दुश्वार थी !!