Saturday, September 27, 2008

हमसाया

रात की इस तन्हाई मे तेरी याद मुझे सताये
तड़प तड़प मैं रह जाऊ मेरे कुछ समझ न आए !!
तेरी आँखों की वो किशश सारी रात मुझे याद आए
िबस्तर पर करवट मैं बदलू नींद मुझे न आए !!
तेरी भीगी आंखे देख िदल मेरा घबराए
हर पल मांगू रब से सुखो की बरसात तुझ पर हो जाये !!
तेरी याद मे जागूँ मैं कब रात गयी कब िदन आया
सुबह की पहली भोर हुई िफर तेरा ही ख़याल आया !!
तुझसे िमलने की चाह ने िफर िदल मेरा तड़पाया
चल पड़ा मे पकड़ राह को जब तक दर तेरा न आया !!
ख़तम हुआ तेरा इंतज़ार अब िदल तेरा धड्काया
छोड़ सभी िचताओं को मैं हूँ तेरा हमसाया !!