आज मेरी कलम लिखते लिखते रो पड़ी कहती तूं अपने सारे दुःख मुझ से क्यों लिखवाता है उसे पा क्यों नहीं लेता जिसे जान से बढ़कर चाहता है !! फिर मेरे दिल ने जवाब दिया जो मै उसे पा सकता तो तुझे क्यों रुलाता आहिस्ता आहिस्ता अपनी जान तेरी स्याही की तरह क्यों सूखता !!
खुदा मरने पर पूछे ख्वाइश मेरी मेरी आखिरी ख्वाइश तू हो बोल न हो जुबां के पास तेरे घर की तरफ मेरा मुँह हो हाथ लगा के देख मेरी धडकनों मे मेरी साँसों मे तू ही तू हो मांगू अगले जनम मे भी तुझे मैं जिस्म और तू मेरी रूह हो
रस्मों रिवाजों की जो परवाह करते हैं प्यार मे वो लोग गुनाह करते हैं !! इश्क वो जनून है जिस में दीवाने अपनी ख़ुशी से खुद को बर्बाद करते हैं !! परवाह करते हो इस ज़माने की क्यों खुद को पाक कहने वाले ही गुनाह करते हैं !! शायेद हम भी उनमें से ही हैं जो खुद को भला और दूसरो को बुरा कहते हैं !!
नैनो ने कही एक कहानी दिल ने बात दिल की मानी !! दुनिया को भूल जाते हैं जब मिलें दिलबर जानी !! ये न तेरी है न ही मेरी है ये हर आशिक की है कहानी !! इश्क की कोई उम्र नहीं होती चाहे बचपन हो या जवानी !! मौसम आयें या जाएँ ये तो वक़्त की है रवानी !!
गर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं गर भुला दोगे तो एक कहानी हूँ मैं !! चाह कर भी रोक न सके कोई जिसे वो इक बूँद आँख का पानी हूँ मैं !! मेरी जिंदगी दुखों का दरिया था तेरे वजह से प्यार की इक निशानी हूँ मैं !! उन आँखों मे था प्यार बड़ा जिन आँखों मे बसी कहानी हूँ मैं !!
मेरा दिल नहीं काबू मे रहता जब फूलों पर आई बहार देखूं !! बहारे चमन मे बेकरारी दिखे तेरा रूप देखूं अपना प्यार देखूं !! मुझे मौसम की नहीं खबर आये ठंडी हवा किसी तरफ से जब दरवाज़े नैनो के खोल कर सारी रात अपना शौंक देखूं तेरा इंतज़ार देखूं !!
आज खुदा ने मेरे खवाब मे कहा अपने ग़मों की यूं नुमाइश न कर!! अपने नसीब की यूं अजमाइश न कर जो तेरा है वो तेरे दर पे आयेगा रोज़ रोज़ उसे यूं पाने की ख्वाइश न कर!! लेकिन इस नादान दिल को समझाए कौन वो भी चाहते है तुझे उन्हें अजमाने की कोशिश न कर!!
तरस जाओगे तुम महफिले वफ़ा के वास्ते किसी से प्यार न करना खुदा के वास्ते !! जब लगेगी मुहब्बत की अदालत इक दिन अकेले तुम ही चुने जाओगे सज़ा के वास्ते !! न करो ज़ुल्म मुझ पर खुद पर इस कदर न सहो सब कुछ यूं तुम खुदा के वास्ते !! बदलो खुद को मेरी खातिर ही सही खुश रहो हमेशां मेरे हमारे प्यार के वास्ते !!
ऐ दिल ऊँची इमारतों के ख्वाब न देख आयेगा भूचाल तो खतरा है गिरने का !! मिल कर बिछुड़ना दस्तूर है जिंदगी का बस यही किस्सा मशहूर है जिंदगी का!! बीते हुए पल कभी वापिस नहीं आते यही तो सब से बड़ा कसूर है जिंदगी का!!
जहा देखो हम ही हम हैं
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं
जो देखा उसके दिल् मैं तो
मेरे लिए क्या मुहब्बत कम है
यूँ ग़लतफहमी मे जिए कब तक
और ख़ुद पर ज़ुल्म ढाए कब तक
जीना दुश्वार सा लगने लगा है
हमे अब ख़ुद से डर लगने लगा है
ख़ुद से भी डरें तो कब तक
इतना ज़ुल्म ढाए तो कब तक
क्योंकी.......
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं