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दिल मे ये दर्द अभी ताज़ा है
लिखूं कुछ ये वक़्त का तकाज़ा है !
गिर पड़ते है आंसू मेरे कागज़ पर
लगता है कलम मे स्याही कम
मेरी आँखों मे अश्क ज्यादा है !!
आज मेरी कलम लिखते लिखते रो पड़ी कहती
तूं अपने सारे दुःख मुझ से क्यों लिखवाता है
उसे पा क्यों नहीं लेता
जिसे जान से बढ़कर चाहता है !!
फिर मेरे दिल ने जवाब दिया
जो मै उसे पा सकता
तो तुझे क्यों रुलाता
आहिस्ता आहिस्ता अपनी जान
तेरी स्याही की तरह क्यों सूखता !!
उसे मिल के बिछुड़ना दस्तूर हो गया
उसके प्यार मे दिल मजबूर हो गया !
कसूर उसका नहीं है इस बेवफाई मे
मेरा प्यार ही इतना की उसे खुद पे गुरूर हो गया !!
उसकी सूरत मेरे खयालो से क्यों नहीं जाती
बैचैनी मेरे नैनो मे मुझे नींद क्यों नहीं आती !!
जब वो मेरे पास थी तो मौत का डर क्यों था मुझे
अब दुनियाँ मे अकले हैं तो मौत क्यों नहीं आती !!
कातिल भी बन जाते हैं खुदा कभी कभी !
डुबो देते कश्ती को मलाह कभी कभी !!
बिखर जाती है खुशबू मेरे हर तरफ
बदन तेरा जो छु के आये हवा कभी कभी!!
ज़ख्म तेरे हिज्र का और गहरा हो रहा
करती नहीं असर शायद दवा कभी कभी !!
बन रहबर राह दिखाना है मेरा काम
पर ढूंढ़ता हूँ खुद का पता कभी कभी !!
वैसे नहीं शोकीन अच्छी सूरतों का मै
पर लूट लेती किसी की अदा कभी कभी !!
टूट ही जाते हैं सब्र के बांध आखिर
जब चढ़ के आये यादों की घटा कभी कभी!!
तेरी हस्ती बनाने चला था
ख़ुद की हस्ती मिटा बैठा !!
दिल लगाने की सोच रहा था
दिल के टुकड़े करवा बैठा !!
इक संसार बसाने चला था
अपने ही हाथों से घर को जला बैठा !!
जिसे बुझते बुझते एक ज़माना लगे
वही आग सीने मे लगा बैठा !!
प्यार की तलाश मे निकला था
प्यार मे ख़ुद को मज़ाक बना बैठा !!
नहीं मिला कोई जिस पर
हम दुनिया लूटा देते !!
सब ने दिया धोखा
किस किस को भुला देते !!
अपने दिल का दर्द
दिल मे छुपा रखा है
गर करते बयाँ तो
कई महफिलें रुला देते!!
मेरी हर घडी इंतज़ार मे गुज़री
उसके बाद उसकी याद मे गुज़री
मै एक फूल था मुझे रख के भूल गए
मेरी सारी उम्र उनकी किताब में गुज़री
रात जाग के बितानी छोड़ दी
बात दिल पर लगानी छोड़ दी
उसके साथ प्यार करके ये सिखा
गुढी प्रीत किसी से लगानी छोड़ दी
खुदा मरने पर पूछे ख्वाइश मेरी
मेरी आखिरी ख्वाइश तू हो
बोल न हो जुबां के पास
तेरे घर की तरफ मेरा मुँह हो
हाथ लगा के देख मेरी धडकनों मे
मेरी साँसों मे तू ही तू हो
मांगू अगले जनम मे भी तुझे
मैं जिस्म और तू मेरी रूह हो
रस्मों रिवाजों की जो परवाह करते हैं
प्यार मे वो लोग गुनाह करते हैं !!
इश्क वो जनून है जिस में
दीवाने अपनी ख़ुशी से खुद को बर्बाद करते हैं !!
परवाह करते हो इस ज़माने की क्यों
खुद को पाक कहने वाले ही गुनाह करते हैं !!
शायेद हम भी उनमें से ही हैं जो
खुद को भला और दूसरो को बुरा कहते हैं !!
नैनो ने कही एक कहानी
दिल ने बात दिल की मानी !!
दुनिया को भूल जाते हैं
जब मिलें दिलबर जानी !!
ये न तेरी है न ही मेरी है
ये हर आशिक की है कहानी !!
इश्क की कोई उम्र नहीं होती
चाहे बचपन हो या जवानी !!
मौसम आयें या जाएँ
ये तो वक़्त की है रवानी !!
गर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं
गर भुला दोगे तो एक कहानी हूँ मैं !!
चाह कर भी रोक न सके कोई जिसे
वो इक बूँद आँख का पानी हूँ मैं !!
मेरी जिंदगी दुखों का दरिया था
तेरे वजह से प्यार की इक निशानी हूँ मैं !!
उन आँखों मे था प्यार बड़ा
जिन आँखों मे बसी कहानी हूँ मैं !!
मेरा दिल नहीं काबू मे रहता
जब फूलों पर आई बहार देखूं !!
बहारे चमन मे बेकरारी दिखे
तेरा रूप देखूं अपना प्यार देखूं !!
मुझे मौसम की नहीं खबर
आये ठंडी हवा किसी तरफ से जब
दरवाज़े नैनो के खोल कर सारी रात
अपना शौंक देखूं तेरा इंतज़ार देखूं !!
आज खुदा ने मेरे खवाब मे कहा
अपने ग़मों की यूं नुमाइश न कर!!
अपने नसीब की यूं अजमाइश न कर
जो तेरा है वो तेरे दर पे आयेगा
रोज़ रोज़ उसे यूं पाने की ख्वाइश न कर!!
लेकिन इस नादान दिल को समझाए कौन
वो भी चाहते है तुझे उन्हें अजमाने की कोशिश न कर!!
तरस जाओगे तुम महफिले वफ़ा के वास्ते
किसी से प्यार न करना खुदा के वास्ते !!
जब लगेगी मुहब्बत की अदालत इक दिन
अकेले तुम ही चुने जाओगे सज़ा के वास्ते !!
न करो ज़ुल्म मुझ पर खुद पर इस कदर
न सहो सब कुछ यूं तुम खुदा के वास्ते !!
बदलो खुद को मेरी खातिर ही सही
खुश रहो हमेशां मेरे हमारे प्यार के वास्ते !!
ऐ दिल ऊँची इमारतों के ख्वाब न देख
आयेगा भूचाल तो खतरा है गिरने का !!
मिल कर बिछुड़ना दस्तूर है जिंदगी का
बस यही किस्सा मशहूर है जिंदगी का!!
बीते हुए पल कभी वापिस नहीं आते
यही तो सब से बड़ा कसूर है जिंदगी का!!