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ख़ुद को मज़ाक बना बैठा
तेरी हस्ती बनाने चला था
ख़ुद की हस्ती मिटा बैठा !!
दिल लगाने की सोच रहा था
दिल के टुकड़े करवा बैठा !!
इक संसार बसाने चला था
अपने ही हाथों से घर को जला बैठा !!
जिसे बुझते बुझते एक ज़माना लगे
वही आग सीने मे लगा बैठा !!
प्यार की तलाश मे निकला था
प्यार मे ख़ुद को मज़ाक बना बैठा !!