Saturday, July 4, 2009

ख़ुद को मज़ाक बना बैठा


तेरी हस्ती बनाने चला था
ख़ुद की हस्ती मिटा बैठा !!

दिल लगाने की सोच रहा था
दिल के टुकड़े करवा बैठा !!

इक संसार बसाने चला था
अपने ही हाथों से घर को जला बैठा !!

जिसे बुझते बुझते एक ज़माना लगे
वही आग सीने मे लगा बैठा !!

प्यार की तलाश मे निकला था
प्यार मे ख़ुद को मज़ाक बना बैठा !!