ऐ दिल ऊँची इमारतों के ख्वाब न देख आयेगा भूचाल तो खतरा है गिरने का !! मिल कर बिछुड़ना दस्तूर है जिंदगी का बस यही किस्सा मशहूर है जिंदगी का!! बीते हुए पल कभी वापिस नहीं आते यही तो सब से बड़ा कसूर है जिंदगी का!!
जहा देखो हम ही हम हैं
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं
जो देखा उसके दिल् मैं तो
मेरे लिए क्या मुहब्बत कम है
यूँ ग़लतफहमी मे जिए कब तक
और ख़ुद पर ज़ुल्म ढाए कब तक
जीना दुश्वार सा लगने लगा है
हमे अब ख़ुद से डर लगने लगा है
ख़ुद से भी डरें तो कब तक
इतना ज़ुल्म ढाए तो कब तक
क्योंकी.......
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं