Friday, December 26, 2008

जो खुदा मिले तो


कियूं रखूं अपनी कलम मे स्याही मैं
जब कोई अरमान दिल मे मचलता नहीं!!
नहीं जानता मै कियूं शक करते हैं सब मुझ पर
जब मेरी किताब मै कोई सुखा फूल ही नहीं !!
प्यार तो बहुत करता हूँ उसको मैं पर क्या करुँ
यह पत्थर दिल है की पिघलता ही नहीं !!
जो खुदा मिले तो उस से अपना प्यार मांगूं
पर सूना है की वो किसी से मिलता ही नहीं !!