Saturday, December 20, 2008

टुकड़े कफ़न के


हकीक़त महज़ खेल होती जिस्मो का अगर
तो दुनियां आज भुला देती नाम आशिकों के !!
आँखों से गिरे ये आंसू तेरे प्यार की निशानी है
तूं समझे तो शबनम, न समझे तो छींटे पानी के !!
किसी को मिल जाती है रंगीन बहारें यहाँ
किसी को नसीब नहीं होते नज़ारे चमन के !!
किसी की कब्र पे बनता ताज महल यहाँ
किसी को नसीब नहीं होते टुकड़े कफ़न के !!