आज खुदा ने मेरे खवाब मे कहा अपने ग़मों की यूं नुमाइश न कर!! अपने नसीब की यूं अजमाइश न कर जो तेरा है वो तेरे दर पे आयेगा रोज़ रोज़ उसे यूं पाने की ख्वाइश न कर!! लेकिन इस नादान दिल को समझाए कौन वो भी चाहते है तुझे उन्हें अजमाने की कोशिश न कर!!
तरस जाओगे तुम महफिले वफ़ा के वास्ते किसी से प्यार न करना खुदा के वास्ते !! जब लगेगी मुहब्बत की अदालत इक दिन अकेले तुम ही चुने जाओगे सज़ा के वास्ते !! न करो ज़ुल्म मुझ पर खुद पर इस कदर न सहो सब कुछ यूं तुम खुदा के वास्ते !! बदलो खुद को मेरी खातिर ही सही खुश रहो हमेशां मेरे हमारे प्यार के वास्ते !!
ऐ दिल ऊँची इमारतों के ख्वाब न देख आयेगा भूचाल तो खतरा है गिरने का !! मिल कर बिछुड़ना दस्तूर है जिंदगी का बस यही किस्सा मशहूर है जिंदगी का!! बीते हुए पल कभी वापिस नहीं आते यही तो सब से बड़ा कसूर है जिंदगी का!!
जहा देखो हम ही हम हैं
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं
जो देखा उसके दिल् मैं तो
मेरे लिए क्या मुहब्बत कम है
यूँ ग़लतफहमी मे जिए कब तक
और ख़ुद पर ज़ुल्म ढाए कब तक
जीना दुश्वार सा लगने लगा है
हमे अब ख़ुद से डर लगने लगा है
ख़ुद से भी डरें तो कब तक
इतना ज़ुल्म ढाए तो कब तक
क्योंकी.......
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं