हो गए आज़ाद चाहे गोरों के राज़ से
आज भी डरती है चिड़िया बाज से
कुछ तो झगडे करवाए धर्मों ने
और कुछ किया वहमो और भ्रमो ने
६० साल से बना मसला नहीं ख़तम होता
धर्म के ठेकेदारों के पास असला नहीं ख़तम होता
कभी हिन्दू सिख लड़े कभी मुसलमान
समझे न कोई इंसान को सिर्फ इंसान