खुदा मरने पर पूछे ख्वाइश मेरी मेरी आखिरी ख्वाइश तू हो बोल न हो जुबां के पास तेरे घर की तरफ मेरा मुँह हो हाथ लगा के देख मेरी धडकनों मे मेरी साँसों मे तू ही तू हो मांगू अगले जनम मे भी तुझे मैं जिस्म और तू मेरी रूह हो
रस्मों रिवाजों की जो परवाह करते हैं प्यार मे वो लोग गुनाह करते हैं !! इश्क वो जनून है जिस में दीवाने अपनी ख़ुशी से खुद को बर्बाद करते हैं !! परवाह करते हो इस ज़माने की क्यों खुद को पाक कहने वाले ही गुनाह करते हैं !! शायेद हम भी उनमें से ही हैं जो खुद को भला और दूसरो को बुरा कहते हैं !!
जहा देखो हम ही हम हैं
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं
जो देखा उसके दिल् मैं तो
मेरे लिए क्या मुहब्बत कम है
यूँ ग़लतफहमी मे जिए कब तक
और ख़ुद पर ज़ुल्म ढाए कब तक
जीना दुश्वार सा लगने लगा है
हमे अब ख़ुद से डर लगने लगा है
ख़ुद से भी डरें तो कब तक
इतना ज़ुल्म ढाए तो कब तक
क्योंकी.......
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं