आज मेरी कलम लिखते लिखते रो पड़ी कहती
तूं अपने सारे दुःख मुझ से क्यों लिखवाता है
उसे पा क्यों नहीं लेता
जिसे जान से बढ़कर चाहता है !!
फिर मेरे दिल ने जवाब दिया
जो मै उसे पा सकता
तो तुझे क्यों रुलाता
आहिस्ता आहिस्ता अपनी जान
तेरी स्याही की तरह क्यों सूखता !!