Thursday, February 19, 2015

एक दोस्त ने मुझे शादी में पूछा कि
" आज माल कौन सा सबसे सुंदर आया शादी में"
मैंने एक लडकी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वह आज सबसे सुंदर लग रही है।
उसने गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए कहा
"मूंह संभाल के बात कर वो मेरी बहन है"
मैंने कहा वाह मेरे शेर सदके जाऊ तेरी सोच के तेरी बहन, बहन हो गई और दूसरो की बहन"माल" हो गई।
तुम्हें अपनी बहन दिखती है और बाकी लडकियां तुम्हें माल दिखती है
आखिर वह भी तो किसी की बहन बेटी है।

भाई इज्जत सबको प्यारी होती है अगर तुम्हें अपनी बहन प्यारी हैै
तो सबको अपनी बहन प्यारी हैै।

वैसे भी मैंने जान बूझ कर तेरी बहन की तरफ इशारा किया था ताकि तेरी सोच को बदल सकू जैसी सोच तू अपनी बहन के लिए रखता हैै
वैसे ही दूसरी लडकियों के बारे में भी रख सके .....

शिक्षा: :- कृपा करके अपनी सोच को बदले अगर आप किसी को इज्जत देंगे तभी जमाना आपकी कदर करेंगा।
हर एक लडकी को गलत नजरों से मत देखो।संसार में बहुत सी ऐसी लडकियां है जिनका कोई भाई नहीं होता वह अपने भाई का प्यार पाने के लिए तरसती रहती है।...
मुझे ज्यादा कहने की जरूरत नहीं
बाकी आप मुझसे ज्यादा समझदार हैं।..........खुद सोचिये

Monday, October 28, 2013

चरित्र





कहते हैं कि इंसान का चरित्र ही उसकी सब से बडी दोलत है लेकिन आज के इस युग मे ज्यादातर लोग इसी धन दोलत से वंचित हैं !! जिस व्यक्ति के पास अच्छा चरित्र नहीं वह अच्छा इंसान नहीं पर अगर व्यंगात्मक ढंग से कहें तो ऐसा व्यक्ति शायद एक कामयाब राजनितिक शायद कहलाता है आज के इस आधुनिक कलयुगी समय मे ,
लेकिन सच तो यह है कि चरित्रहीन कि जगह कहीं भी नहीं न राजनीती मे न किसी और स्थान पर, किसी ज्ञानी ने कहा है कि अगर आपका धन दोलत गया तो कुछ खास नहीं गया और अगर आपकी सेहत आपका स्वस्थ गया तो कुछ गया परन्तु अगर आपका चरित्र गया तो आपका सब कुछ गया!!
लेकिन आजकल यह बात बहुत कम लोगो को समझ आती है, अंग्रेजी फिल्मो से ज्यादा हिंदी फिल्मो मैं नंग्नता का प्रदर्शन हो रहा है फूहडता अपनी हदें पार कर रही है, औरत शर्म जिसका गहना कहा जाता था  आज वही औरत इस गहने से वंचित नज़र आती है और बेशर्मी कि हदें लांघती दिखती है !!

इसी से सम्बंधित गुरबानी मे दर्ज है

रन्ना होइयाँ बोधियाँ
पुरष भये सैयाद !!

अर्थात औरत अगर इस प्रकार कि नंग्नता पर आएगी तो पुरुष तो शिकारी बनेगा ही, परन्तु आज का पुरुष तो सभी को शिकारी कि नज़र से देख रहा है! चाहे वह औरत हो या छोटी बच्ची पर भूखी नजरो का सामना उसे करना ही पड़ता है क्योकि उम्र कि सारी सीमाएं आज का समाज लांघ चूका है लोगों का चरित्र इतना गिर चूका है कि बहुतात को बड़े छोटे का अन्तर भी भूल गया लगता है !!

इसी पर गुरु नानक देव जी ने फरमाया है .......

करम धरम दोवे छप ख्लोये
कुढ़ फिरे परधान वे लालो !!

अर्थात कर्म और धर्म दोनों को इंसान भूल सा गया है और कुढ़(बुराई) परधान है आज के युग मे, 
आज के युग मे धर्म के नाम पर लूट मची है और लोगो के कर्म भी कुछ अच्छे नहीं रहे सत्ता के लालच मे कुछ नेता तो देश को बेचने को तेयार खड़े हैं, सीमाओं पर शहीद हुए जवानो के बारे मे तो यहाँ तक बोल दिया जाता है कि पुलिस और सेना मे तो भर्ती ही मरने के लिए हुआ जाता है !! तो नेता जी से कोई ये पूछे कि राजनीति मे लूटने के लिए आयें हैं वह? किसी नेता ने अपने गिरे चरित्र का नमूना ईमानदार अफसर को उसके पद से हटा कर दिया तो किसी ने शहीदों कि शहादत का मजाक उड़ा कर दिया है !!
एक ये युग है एक वो युग था जब महाराजा रणजीत सिंह के कि फ़ौज के सिपहसलार सरदार हरी सिंह नलवा हुआ करते थे और अफगानिस्तान मे अफगान सेना से युद्ध चल रहा था पहाडो कि गुफा मे बानो नाम कि एक सुंदर जवान लड़की अपने मंगेतर जो कि एक अफगान फौजी था के साथ छिपी हुयी थी उस लड़की ने अपने मंगेतर फौजी से यु छुपने का कारण पूछा तो उस फौजी ने कहा कि हरिया (हरी सिंह नलवा) नामक एक सिख अपनी फ़ौज लेकर हमारे मुल्क को लूटने व् कब्ज़ा कर हथियाने आया है वह बहुत ज़ालिम व् खतरनाक है यह सुन वह लड़की वहा से जाने लगी तो उस फौजी ने लड़की का हाथ पकड उसे रोकना चाहा लेकिन वह लड़की अपना हाथ छुडवा कर भाग निकली यह कहकर कि देखू तो सही कौन है वह, जब वह लड़की सरदार हरी सिंह नलवा के दरबार जहा उनके फौजी खेमा लगा था पहुंची तो सरदार हरी सिंह नलवा नितनेम (पूजा अर्चना) मे विलीन थे वह लड़की जब उनसे मिलने के लिए अंदर जाने लगी तो दरबान ने रोक दिया तो वह लड़की ज़बदास्ती अंदर घुसने कि कोशिश करने लगी जिस दोरान काफी शोर शराबा हुआ इसी दोरान हरी सिंह नलवा अपना नितनेम करके उठे और इस शोर का कारण पूछा तो दरबान ने सारी बात उन्हें बताई यह सुन कर उन्होंने ने उस लड़की बानो को अंदर बुलाने का हुक्म दिया और उस लड़की से उसके आने का कारण पूछा, तब उस लड़की बानो ने सरदार हरी सिंह नलवा से सवाल किया कि क्यों आप हमारे मुल्क को हडपने आये हो क्यों जुलम कर रहे हो हमारे लोगो पर: तो इस पर सरदार हरी सिंह नलवा ने उसे जवाब दिया कि न तो मैं किसी पर ज़ुल्म कर रहा हूँ न ही किसी के मुल्क पर कब्ज़ा करने आया हूँ मैं तो केवल अपने धर्म कि रक्षा करने और ज़ुल्म को मूह तोड़ जवाब देने आया हूँ, सरदार हरी सिंह नलवा कि सचाई जान कर वह लड़की उनकी दिलेरी और उनके रोबीले कद काठ लाल मुख देख कर फ़िदा हो गयी और हरी सिंह नलवा से सम्बन्ध बनाने कि इच्छा ज़ाहिर और अपनी कोख से हरी सिंह नलवा जैसा एक दिलेर पुत्र कि इच्छा ज़ाहिर कि जिस पर हरी सिंह नलवा गुस्से से भडक गए व् उस लड़की बानो को फ़ौरन वहा से जाने को कहा यह सुन उस लड़की ने कहा कि मैंने तो सुना था कि आप गुरु नानक के सिख हो और गुरु नानक के सिख के दर से कोई भी खाली नहीं जाता सबकी मुराद पूरी होती है लेकिन आज मे इस दर से खाली जा रही हूँ इसका मतलब कि मे गुरु नानक के दर से खाली जा रही हूँ तो ये बात तो झूठी हो गयी कि कोई गुरु नानक के दर से खाली नहीं जाता, जब इतना कह कर वह लड़की बानो वहा से जाने लगी तो सरदार हरी सिंह नलवा ने उसे वापिस बुलाया और जिस आसान पर वह खुद बैठते थे बानो को वहा बिठाया और पश्मीना कि एक शाल मंगवा कर उसके पैरों मे रखी और कहा कि तुझे हरी सिंह नलवा जैसा बेटा चाहिए था तो आज से हरी सिंह नलवा ही तेरा बेटा हुआ !!
यह है चरित्र जो आज कल कहीं देखने को नहीं मिलता काश ऐसा चरित्र हमारे देख के नेताओं का भी हो जाये तो किसी मे हिम्मत नहीं कि मेरे भारत कि तरफ आँख उठा कर भी देखे !!!!

                                                                     परविंदर सिंह कोचर

बैसाखी



बैसाखी का नाम ज़ेहन में आते ही हर व्यक्ति का मन झूम उठता है और इस्सी दिन सीखो के दसवे गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसे कि सिरजना कि थी और सिख धर्म कि स्थापना से ही जात पात उंच नीच का भेद सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने खत्म  कर दिया था जब उन्होंने ने आम लोगो में से चुन कर पांच प्यारे बनाये उन्हें अमृत छकाया और उन्ही से खुद अमृत छक कर उंच नीच का भेद खत्म करते हुए सिख धर्म कि स्थापना कि यह एक बहुत बड़ा और दुनिया का इकलोता ऐसा अचम्भा धरती पर १३ अप्रेल सन १६९९ कि बैसाखी को आनंदपुर साहिब कि पवित्र धरती पर हुआ था !!

वाह परगटीओ मर्द अगमडा वरियाम अकेला !!
वाह वाह गोबिंद सिंह आपे गुर चेला  !!



 यह एक ऐसा दिन था जब मानवता को गुरु साहिब एक नया रूप देने जा रहे थे जिस वक्त एक तरफ मुगलों के अत्याचार और दूसरी तरफ ऊंच नीच का जेहर फेला हुआ था एक तरफ ज़ालिम औरंगजेब कि हुकूमत ज़बरदस्ती कश्मीरी पंडितो को इस्लाम कबूल करने को मजबूर कर रही थी ऐसे वक्त खालसे का जन्म सारी मानवता के लिए एक वरदान साबित हुआ !! खालसा यानि कि खालिस जैसा उस प्रभु,भगवान,इश्वर उस अकाल पुरख ने भेजा वैसा ही क्योकि अगर मुंडन करवा कर जनेऊ धारण करवा दो तो हिंदू सुन्नत करवा दो तो मुस्लिम परन्तु उस परम शक्ति ने जैसा भेजा वैसी ही शक्ल सूरत और भेस में रहना ही खालसा है !! गुरु साहिब ने उस अकाल पुरख परम परमात्मा के हुक्म से ही खालसे कि सिर्जना कि जो १ बैशाख १३ अप्रेल १६९९ इस्वी का शुभ दिन था ! जिस दिन गुरु ई ने पांच प्यारे सजाये उन्हें अमृत छकाया व् गीदड से शेर ( बुजदिल से जिंदा दिल व भय रहित) बना दिया !!

सूरा सो पहचानिये जो लड़े दीन के हेत !!
पुर्जा पुर्जा कट मरे कबहू न छाडे खेत  !!

अर्थात सूरा यही सुरमा वही है दिलेर वही है जो धर्म कि खातिर मानवता कि खातिर कुर्बान तो हो सकता अपना रोम रोम कटवा सकता है परन्तु ज़ुल्म व् ज़ालिम के आगे कभी सर नहीं झुकाता !!

यही है असली खालसे कि पहचान जो दूसरे धर्म कि रक्षा कि खातिर अपनी जन देने से भी कतई पीछे नहीं हटता !!

गुरु साहिब ने अमृत संचार कर एक जिंदा दिल कौम एक भय रहित खालसा तैयार किया जो सवा लाख के बराबर अकेला है जो ज़ुल्म और ज़ालिम के खिलाफ हर समय तैयार है और एक मिसाल है जो कि दुनिया में न पहले कभी हुआ न कभी होगा गुरु गोबिंद सिंह जी ने 8 साल कि छोटी आयु में हिंदू धर्म पर आए  संकट के समाधान हेतु पिता कि क़ुरबानी दी और फिर चारो पुत्रो कि कुर्बानी इस धरती पर आजतक कि इकलोती मिसाल है इस दुनिया में ऐसी कोई मिसाल नहीं मिलती जिसमे पिता ने अपने बेटे देश और कौम पर कुर्बान किये हो सिवाए गुरु गोबिंद सिंह जी के !!

इसी पर कवि जोगी अल्लाह यार खान ने यूँ कुछ इस तरह लिखा है
बस एक ही तीर्थ है हिन्द में यात्रा के लिए
कटवाए बाप ने जहां बेटे खुदा के लिए
भटकते है क्यूँ ? हज करें यहाँ आकर
ये काबा पास है, हर इक खालसा के लिए !!

बैसाखी के दिन गुरु जी न केवल सीखो को बल्कि पूरी मानवता को एक नायाब तोहफा दिया था जिसकी उन्होंने ने भरी कीमत चुकी थी अपना सारा वंश वार कर....

बैसाखी के इस पावन दिन के मौके पर उन्हें शत शत प्रणाम

वाहिगुरु जी का खालसा
वाहिगुरू जी की फतिह!!



परविंदर सिंह कोचर

राजनीति



आजकल हम देखते आ रहे हैं कि धर्म पर राजनीति हावी होती जा रही है चाहे वह कोई भी धर्म हो ! मंदिर का मुद्दा हो या मस्जिद का राजनीती सबसे उपर नज़र आती है . या चाहे मुद्दा गुरूद्वारो कि गोलक का हो धर्म से पहले राजनीती नज़र आती है अयोध्या का मंदिर हो या कुम्भ का मेला हज कि यात्रा हो या ईद का मौका राजनितिको को तो सिर्फ राजनीति करनी है !!

इसी राजनीती के चलते कई बार सांप्रदायिक दंगे भडके कई मरे कई घायल हुए कभी 1984 हुआ तो कभी गोधरा कभी उत्तर परदेश जला तो कभी पंजाब कभी गुजरात जला तो कभी बिहार परन्तु इन सब में कभी कोई राजनितिक नहीं मरा अगर कोई मरा तो वो है आम आदमी जिसका न तो राजनीती से कोई लेना देना था न किसी धार्मिक संगठन से लेकिन पिसा तो कौन? केवल आम आदमी, !!

आम आदमी से हमारे जेहन में आज कल अरविन्द केजरीवाल का नाम आता है जो आज कल दिल्ली मई भूख हड़ताल पर हे और अपना अनशन जारी रखे हैं कुछ लोगो का कहना है कि अरविन्द कर रहे हैं. पर मेरा मानना है कि चलो दिखावा ही सही परन्तु दूसरे राजनितिक लोगो से तो अच्छा ही है कम से कम धर्म कि राजनीति तो नहीं कर रहे बिजली पानी को मुद्दा बनाया है किसी मंदिर मस्जिद को तो नहीं न,
और इसमें सच में आम जनता का भला ही होगा क्योकि आज तक भारत कि आम जनता धर्म के नाम पर खूब लड़ती आई है जिसका भरपूर फायेदा इस देख के भ्रष्ट नेताओ ने लिया है लेकिन जिसने देख के लिए कुछ किया उसने सिने पर गोली खायी या बम्ब धमाको में अपने हाथ पैर ही गवाए हैं लेकिन सत्ता का लोभ नहीं लिया ऐसे कुछ जिन्दा शहीद आज भी देखने को मिल जाते है परन्तु ऐसे लोग चुनिन्दा ही हैं !!
पापी चाहे कितनी चतुराई से पाप करे लेकिन
अंत में पापी को पाप का दंड भुगतना ही पड़ता है !!
 लेकिन पापी पाप करता धर्म कि आड लेकर ही है और यह सोच कर खुश होता है कि किसी को पता भी नहीं चला और मैंने सब को मुर्ख बना दिया परन्तु उस मुर्ख को यह समझ नहीं आता कि किसी को तो नही पर भगवान तो सब देखता है और चलो यह भी मान ले कि उसकी किसी धर्म या भगवान में आस्था नहीं परन्तु वेह खुद तो अपने कुकर्मो को देख ही रहा है लेकिन सत्ता का अहंकार इतना सोचने कि शक्ति भी छीन लेता है !! किसी शायर ने कहा है
लाख दारा और सिकन्दर हो गए
आई हिचकी मौत कि और सो गए !!

लेकिन इस सच को केवल धर्म कर्म वाले व्यक्ति ही समझते हैं अहंकारी राजनितिक नहीं को सत्ता का नशा इतना होता है कि वह इन बातो से कतई वाकिफ नहीं होता ,बात वहीँ आ जाती है कि धर्म और राजनीती का क्या कोइ मेल है या नहीं, अगर धर्म में राजनीती आ जाये तो सर्वनाश होना तय है लेकिन  अगर राजनीती में धर्म आ जाये जो कि आज कल संभव नहीं तो शयेद मानवता का कुछ भला हो जायेगा यही उम्मीद करते है !! भगवान भली करे



परविंदर सिंह कोचर

अहेंकार



दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व प्रधान स. परमजीत सिंह सरना को उनका अहंकार ले बैठा,
इसमें कोई शक नहीं की उन्होंने ने प्रधान रहते बहुत काम किये लेकिन शायेद वो ये भूल गए की की सभी कार्य गुरु साहिब की कृपा से ही हुए हैं न् की सरना के घमंड से क्योकि इतिहास गवाह है की घमंड तो महाबली रावण का भी नहीं रहा !! स. परमजीत सिंह सरना ने गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान के पद पर रहते जो काम किये उनकी वह वह भी हुयी और कभी उनकी निंदा भी लेकिन ये भी सच है की गलती उसी से होती है जो काम करे निक्कमे व् निठल्ले व्यक्ति से कभी कोइ गलती नहीं होती क्योकि वह  कुछ करता ही नहीं तो गलती का होना तो नामुमकिन ही है परन्तु इंसान की बुरी जुबान उसके सारे अछे किये पर पानी फेर देती है जिस तरह स. सरना की बदजुबानी ने उनके साथ किया और बाकी उनके द्वारा लिए गए कुछ गलत फैसले उनके उपर भारी पड़े जिसमे से एक 15 नवम्बर को अकाली दल बादल के दिल्ली के प्रधान मंजीत सिंह जी. के. पर गुरुद्वारा रकाब गंज में हुआ हमला भी सरना की एक बड़ी गलती साबित हुआ !!

धन भूमि का जो करै गुमानु ॥
सो मूरखु अंधा अगिआनु ॥२७८

गुरु ग्रन्थ साहिब में दर्ज है की धन और भूमि (ज़मीन) का जिससे अहंकार हे वह मुर्ख अंधा और अगियानी है !! तो फिर गुरुद्वारा कमेटी के सदस्य व् प्रधान इतने अहंकारी कैसे हो जाते हैं ? या फिर वः केवल प्रधानगी ही करते हैं लेकिन गुरु जी के वचनों पर चलते नहीं तो क्या यही कारण है की सरना के अकाली दल का यूँ पतन हुआ क्योकि इस तरह की हार तो पहले कभी देखने को नहीं मिली,
या शिरोमणि अकाली दल (बादल) द्वारा किया अकाल तख़्त के मुद्दे का परचार सरना को लेर बैठा ! इन बातो का चिंतन सरना व् साथियों को करना चाहिए और गुरूद्वारो में जाकर सची सेवा निष्काम सेवा करनी चाहिए और नयी कमेटी के सदस्यों को भी ध्यान देना होगा की मर्यादा में रह कर गुरूद्वारो की और संगत की सची सेवा करे अन्यथा चुनाव हर पांच साल में होते हैं यह न हो की इन्हें ये मौका मिला फिर दोबारा बाहर का रास्ता देखना पड़े ! अपनी जीत से नहीं दूसरों की हर से सबक लो और गुरु मर्यादा में रहते हुए अपना कार्य करो !! मन में संतोष (संतुष्टि) हो क्योकि अगर आपको संतोष ही नहीं तो आपकी भूख कभी खत्म नहीं होगी मृगतृष्णा की तरह आपको हर वक्त भगाती रहेगी!!
बिना संतोख नही कोऊ राजै ॥
सुपन मनोरथ ब्रिथे सभ काजै ॥
नई कमेटी पर यह इलज़ाम भी अक्सर लगता आ रहा है कि पंजाब कि तरह यहाँ भी हालात न बन जाएँ गुरूद्वारो में देरदारो डेरेदारों का बोल बाला न हो जाये गुरूद्वारो कि मर्यादा से खिलवाड़ न् हो क्योकि गुरु मर्यादा केवल गुरु ग्रन्थ साहिब और शब्द को गुरु का दर्जा देती है न् कि देहधारी को !!
बाबा नानक जी को जब सिद्धो ने पूछा कि
कवण मूल कवण मति वेला ॥
तेरा कवणु गुरु जिस का तू चेला ॥

तो बाबा जी ने कुछ इस तरह जवाब दिया कि

पवन आरम्भ सतिगुर मत वेला ॥
शब्द गुरु सुरति धुनि चेला ॥

कमेटी चाहे नयी हो या पुरानी जो गुरु कि बात करेगा मर्यादा में रह कर सेवा करेगा वही रहेगा अन्यथा अहंकार का सर तो नीचा होना ही है क्योकि जो उपर कि तरफ देखेगा व ठोकर खाकर गिरगा और जो नम्रता में रहेगा वही बचेगा !!

नानक नीव जो चले ॥
लगे न ताती वाओ ॥



परविंदर सिंह कोचर


पंजाब के तरनतारन में ४ मार्च को घटे एक शर्मनाक घटनाक्रम ने फिर से कई सवाल खड़े कर दिए की क्या महिलाएं कही भी सुरक्षित हैं? क्या पंजाब की धरती जहा पर गुरु नानक साहिब ने औरत को कहीं ऊँचा दर्जा दिया वही उसी औरत की इज्ज़त को यूँ उछाला जायेगा गुरु ग्रन्थ साहिब में औरत के बारे में गुरु साहिब ने फरमाया है !      !! सो किउ मंदा आखिए जित जमेह राजान !! ४७३!!
इस घटनाक्रम की एक विडिओ किसी राहगीर ने बना कर TV चेनल को दी जिसके चलते पंजाब सरकार को कुछ पुलिस वालो को सस्पेंड करना पड़ा पर गौर तलब हे की क्या सरकार का खौफ केवल आम आदमी को ही क्यों है पुलिस या किसी दबंग को क्यों नहीं ?
सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद हडकंप मच जाना क्या इस बात की तरफ संकेत नहीं देता की मोजुदा सरकारें अपनी कार्य प्रणाली को बदल दे अन्यथा देश गर्क की तरफ बढ़ रहा है क्योकि जहा औरत का सत्कार नहीं वह तो भगवान भी वास नहीं करते ऐसा हर धर्म ग्रन्थ में दर्ज है
भंड जमिये भंड निमिये भंड मंगन विआह !!
भन्डों होवे दोस्ती भन्डों चले राहों!!
भंड (स्त्री) से पुरुष जन्मा स्त्री से संसार आगे बढा ! जिस स्त्री से राजे महाराजे जन्मे उस स्त्री के बिना संसार शुन्य है उस स्त्री का आदर सत्कार करना पुरुष का कर्तव्य है !!
परन्तु देखने में सब इसके उल्ट हो रहा है !!
कभी पंजाब में कभी दिल्ली में औरत की अस्मत से खेला जा रहा है ! कब रुकेगा ये नीचता का नंगा नाच !! इसका जवाब कौन देगा ? क्या कोख में बेटी की हत्या का यही कारण तो नहीं? इन सब बीअतो के जवाब हमें खोजने होंगे अगर हम सभ्य समाज की कल्पना करते हैं तो अन्यथथा कल हम अपनी नयी पीढ़ी को क्या जवाब देंगे !!!!
..........
                               
अचानक एक ताज़ा घटनाक्रम में पंजाब कांग्रेस कमेटी के प्रधान केप्टन अमरिंदर सिंह को प्रधानगी ओहदे से हटा दिया गया ! उनकी जगह गुरदासपुर के लोक सभा से संसद सदस्य स. परताप सिंह बाजवा को नियुक्त किआ गया है!! क्या पंजाब की राजनीती में नया मोड आएगा ? क्या कांग्रेसियो का पलायन रुकेगा इस नए कदम से !देखना ये होगा की पंजाब में राजनीती किस करवट बैठती है !!
...............



पंजाब में बढ़ते नशे के परचलन का एक भयानक रूप फिर से मौत का तांडव दिखा गया ! जालन्धर नकोदर रोड पर अकाल अकादमी की स्कूल बस और ट्रक की आमने सामने की टक्कर में १३ मासूमो को लील लिया व् बस ड्राईवर की भी मौके पर दर्दनाक मौत हो गयी

Tuesday, June 7, 2011

कभी वक्त मिला तो जुल्फें भी सवारेंगे
अभी वक्त को सवारने मे मसरूफ हैं

Thursday, September 30, 2010

इंसान को सिर्फ इंसान

हो गए आज़ाद चाहे गोरों के राज़ से
आज भी डरती है चिड़िया बाज से
कुछ तो झगडे करवाए धर्मों ने
और कुछ किया वहमो और भ्रमो ने
६० साल से बना मसला नहीं ख़तम होता
धर्म के ठेकेदारों के पास असला नहीं ख़तम होता
कभी हिन्दू सिख लड़े कभी मुसलमान
समझे न कोई इंसान को सिर्फ इंसान

Monday, July 26, 2010

दिल का दर्द

कर ली हसीं गलती
मेरे दिले नादान ने


मोह लिया मुझे उसकी
कातिल मुस्कान ने


दिल का दर्द
अब किसे बताऊ

जान बन कर जान
निकल ली मेरी जान ने

Sunday, April 18, 2010

jihna di fitrat vich dagaa oh kade vafaa nahi karde

jo rukh zyadaa uchche ne oh kade chhaan nahi karde


जिन्ना दी फितरत विच दगा ओह कदे वफ़ा नहीं करदे

जो रुख ज्यादा उच्चे ने ओह कदे छाँ नहीं करदे