कहते हैं कि इंसान का चरित्र ही उसकी सब से बडी दोलत है लेकिन आज के इस युग मे
ज्यादातर लोग इसी धन दोलत से वंचित हैं !! जिस व्यक्ति के पास अच्छा चरित्र नहीं
वह अच्छा इंसान नहीं पर अगर व्यंगात्मक ढंग से कहें तो ऐसा व्यक्ति शायद एक कामयाब
राजनितिक शायद कहलाता है आज के इस आधुनिक कलयुगी समय मे ,
लेकिन सच तो यह है कि चरित्रहीन कि जगह कहीं भी नहीं न राजनीती मे न किसी और
स्थान पर, किसी ज्ञानी ने कहा है कि अगर आपका धन दोलत गया तो कुछ खास नहीं गया और
अगर आपकी सेहत आपका स्वस्थ गया तो कुछ गया परन्तु अगर आपका चरित्र गया तो आपका सब
कुछ गया!!
लेकिन आजकल यह बात बहुत कम लोगो को समझ आती है, अंग्रेजी फिल्मो से ज्यादा
हिंदी फिल्मो मैं नंग्नता का प्रदर्शन हो रहा है फूहडता अपनी हदें पार कर रही है, औरत शर्म जिसका गहना कहा
जाता था आज वही औरत इस गहने से
वंचित नज़र आती है और बेशर्मी कि हदें लांघती दिखती है !!
इसी से सम्बंधित गुरबानी मे दर्ज है
रन्ना होइयाँ बोधियाँ
पुरष भये सैयाद !!
अर्थात औरत अगर इस प्रकार कि नंग्नता पर आएगी तो पुरुष तो शिकारी बनेगा ही, परन्तु
आज का पुरुष तो सभी को शिकारी कि नज़र से देख रहा है! चाहे वह औरत हो या छोटी बच्ची
पर भूखी नजरो का सामना उसे करना ही पड़ता है क्योकि उम्र कि सारी सीमाएं आज का समाज
लांघ चूका है लोगों का चरित्र इतना गिर चूका है कि बहुतात को बड़े छोटे का अन्तर भी
भूल गया लगता है !!
इसी पर गुरु नानक देव जी ने फरमाया है .......
करम धरम दोवे छप ख्लोये
कुढ़ फिरे परधान वे लालो !!
अर्थात कर्म और धर्म दोनों को इंसान भूल सा गया है और कुढ़(बुराई) परधान है आज
के युग मे,
आज के युग मे धर्म के नाम पर लूट मची है और लोगो के कर्म भी कुछ अच्छे नहीं
रहे सत्ता के लालच मे कुछ नेता तो देश को बेचने को तेयार खड़े हैं, सीमाओं पर शहीद
हुए जवानो के बारे मे तो यहाँ तक बोल दिया जाता है कि पुलिस और सेना मे तो भर्ती
ही मरने के लिए हुआ जाता है !! तो नेता जी से कोई ये पूछे कि राजनीति मे लूटने के
लिए आयें हैं वह? किसी नेता ने अपने गिरे चरित्र का नमूना ईमानदार अफसर को उसके पद
से हटा कर दिया तो किसी ने शहीदों कि शहादत का मजाक उड़ा कर दिया है !!
एक ये युग है एक वो युग था जब महाराजा रणजीत सिंह के कि फ़ौज के सिपहसलार सरदार
हरी सिंह नलवा हुआ करते थे और अफगानिस्तान मे अफगान सेना से युद्ध चल रहा था पहाडो
कि गुफा मे बानो नाम कि एक सुंदर जवान लड़की अपने मंगेतर जो कि एक अफगान फौजी था के
साथ छिपी हुयी थी उस लड़की ने अपने मंगेतर फौजी से यु छुपने का कारण पूछा तो उस
फौजी ने कहा कि हरिया (हरी सिंह नलवा) नामक एक सिख अपनी फ़ौज लेकर हमारे मुल्क को
लूटने व् कब्ज़ा कर हथियाने आया है वह बहुत ज़ालिम व् खतरनाक है यह सुन वह लड़की वहा
से जाने लगी तो उस फौजी ने लड़की का हाथ पकड उसे रोकना चाहा लेकिन वह लड़की अपना हाथ
छुडवा कर भाग निकली यह कहकर कि देखू तो सही कौन है वह, जब वह लड़की सरदार हरी सिंह
नलवा के दरबार जहा उनके फौजी खेमा लगा था पहुंची तो सरदार हरी सिंह नलवा नितनेम
(पूजा अर्चना) मे विलीन थे वह लड़की जब उनसे मिलने के लिए अंदर जाने लगी तो दरबान
ने रोक दिया तो वह लड़की ज़बदास्ती अंदर घुसने कि कोशिश करने लगी जिस दोरान काफी
शोर शराबा हुआ इसी दोरान हरी सिंह नलवा अपना नितनेम करके उठे और इस शोर का कारण
पूछा तो दरबान ने सारी बात उन्हें बताई यह सुन कर उन्होंने ने उस लड़की बानो को
अंदर बुलाने का हुक्म दिया और उस लड़की से उसके आने का कारण पूछा, तब उस लड़की बानो
ने सरदार हरी सिंह नलवा से सवाल किया कि क्यों आप हमारे मुल्क को हडपने आये हो
क्यों जुलम कर रहे हो हमारे लोगो पर: तो इस पर सरदार हरी सिंह नलवा ने उसे जवाब
दिया कि न तो मैं किसी पर ज़ुल्म कर रहा हूँ न ही किसी के मुल्क पर कब्ज़ा करने आया
हूँ मैं तो केवल अपने धर्म कि रक्षा करने और ज़ुल्म को मूह तोड़ जवाब देने आया हूँ,
सरदार हरी सिंह नलवा कि सचाई जान कर वह लड़की उनकी दिलेरी और उनके रोबीले कद काठ
लाल मुख देख कर फ़िदा हो गयी और हरी सिंह नलवा से सम्बन्ध बनाने कि इच्छा ज़ाहिर और
अपनी कोख से हरी सिंह नलवा जैसा एक दिलेर पुत्र कि इच्छा ज़ाहिर कि जिस पर हरी सिंह
नलवा गुस्से से भडक गए व् उस लड़की बानो को फ़ौरन वहा से जाने को कहा यह सुन उस लड़की
ने कहा कि मैंने तो सुना था कि आप गुरु नानक के सिख हो और गुरु नानक के सिख के दर
से कोई भी खाली नहीं जाता सबकी मुराद पूरी होती है लेकिन आज मे इस दर से खाली जा
रही हूँ इसका मतलब कि मे गुरु नानक के दर से खाली जा रही हूँ तो ये बात तो झूठी हो
गयी कि कोई गुरु नानक के दर से खाली नहीं जाता, जब इतना कह कर वह लड़की बानो वहा से
जाने लगी तो सरदार हरी सिंह नलवा ने उसे वापिस बुलाया और जिस आसान पर वह खुद बैठते
थे बानो को वहा बिठाया और पश्मीना कि एक शाल मंगवा कर उसके पैरों मे रखी और कहा कि
तुझे हरी सिंह नलवा जैसा बेटा चाहिए था तो आज से हरी सिंह नलवा ही तेरा बेटा हुआ
!!
यह है चरित्र जो आज कल कहीं देखने को नहीं मिलता काश ऐसा चरित्र हमारे देख के
नेताओं का भी हो जाये तो किसी मे हिम्मत नहीं कि मेरे भारत कि तरफ आँख उठा कर भी
देखे !!!!
परविंदर सिंह कोचर
jo rukh zyadaa uchche ne oh kade chhaan nahi karde
जिन्ना दी फितरत विच दगा ओह कदे वफ़ा नहीं करदे
जो रुख ज्यादा उच्चे ने ओह कदे छाँ नहीं करदे