Tuesday, December 8, 2009

आँखों मे अश्क


दिल मे ये दर्द अभी ताज़ा है
लिखूं कुछ ये वक़्त का तकाज़ा है !
गिर पड़ते है आंसू मेरे कागज़ पर
लगता है कलम मे स्याही कम
मेरी आँखों मे अश्क ज्यादा है !!

Thursday, December 3, 2009

आहिस्ता आहिस्ता

आज मेरी कलम लिखते लिखते रो पड़ी कहती
तूं अपने सारे दुःख मेरे से क्यों लिखवाता है
उसे पा क्यों नहीं लेता
जिसे जान से बढ़कर चाहता है !!
फिर मेरे दिल ने जवाब दिया
जो मै उसे पा सकता
तो तुझे क्यों रुलाता
आहिस्ता आहिस्ता अपनी जान
तेरी स्याही की तरह क्यों सूखता !!