Wednesday, November 26, 2008
मुहब्बत का फ़र्ज़
पता नहीं क्यों दिल् रंगीले ख्वाब सजा लेता है
क्यों इक नया गम जिंदगी को लगा लेता है !!
जब पता है खवाबो ने टूट ही जाना है फिर क्यों
सूखे पत्तों और टहनियों का घोंसला बना लेता है !!
पर क्या करें कुछ दिल् ही ऐसा दिया खुदा ने
जो हरेक को अपना बना लेता है !!
उनकी पाक मुहब्बत का फ़र्ज़ हम चुकाएं कैसे
जिन्हें माना रब से ज्यादा उन्हें झुकाएं कैसे !!
Tuesday, November 25, 2008
मुझे भुलाये बैठे हैं
Wednesday, November 19, 2008
जिंदगी छोटी है
पतझड़
मुझे मौत भी न आई और मै मर भी गया
मेरी जीत भी न हूई और मै हार भी गया !!
उसने छोडा भी नही उसने रखा भी नहीं
उसने आग भी ना लगाई और मै जल भी गया !!
इस प्यार की नदी मे उसकी याद की नदी मे
मै डूबता भी रहा और मैं तैरता भी गया !!
उसे देखा जब मैंने किसी और की डोली जाते
मुझसे देखा भी न गया और मै सह भी गया !!
मै बन गया वृक्ष सहे तेरे बे रहम दुःख
पतझड़ भी ना आया और मे झड़ भी गया !!
Tuesday, November 18, 2008
न मांग जुदाई
तेरे गम ने मुझे कलम पकडाई
मजबूर किया कुछ लिखने को !!
जब भी रब से कोई सौगात मांगूंगा
हर जनम मे तेरा ही साथ मांगूंगा !!
लगे न हमारे साथ को किसी की नज़र
यही दुआ मे रब से दिन रात मांगूंगा !!
हर जनम से पहले इस जनम की बात करें
न छोड़ हौसला आ खुल कर प्यार करें !!
बस इक इल्तजा है मेरी आज यही
मांगना है खुदा से तो मिलन मांग न मांग जुदाई !!
मेरी तस्वीर के टुकड़े
नींद आये तो खवाबों मे तूं
और ना सौउं तो यादो मे तूं !!
तेरे आगे खुद को भी हार बैठा हूँ
एक दिल् था मेरे पास जो तुझ पर वार बैठा हूँ !!
मौत पर भी मुझको यकीन तुझ पर भी ऐतबार है
देखें पहले कौन आता है दोनों का इंतज़ार है !!
और तूं रोई तो बहुत पर मुँह मोड़ कर रोई
शायद मजबूर होगी जो मेरा दिल् तोड़ कर रोई !!
मेरे ही सामने कर के मेरी तस्वीर के टुकड़े
मेरे जाने के बाद उसे जोड़ जोड़ कर खूब रोई !!
Sunday, November 16, 2008
शाम आखिरी है
आखिरी है ये अलविदा ये सलाम आखिरी है
मेरे लबों पर उनके लिए पैगाम आखिरी है !!
मैखाने में ख़त्म हुई, और मुझे अब पीनी नहीं
टूटे हुए पैमाने और ये जाम आखिरी है !!
बस वो चुप चाप से बैठे है आज लेकिन
उनके दिल मे मेरे लिए इक इल्जाम आखिरी है !!
आखिरी है मुलाकात मेरे यार के साथ आज
उनकी ये सुबह मगर मेरी ये शाम आखिरी है !!
जीने की आस
आज दिल की कहने को जी करता है
तेरे दिल मे रहने को जी करता है !!
खुशियाँ दे कर तुझे
तेरे गम सहने को जी करता है!!
खुदा जाने तेरा मेरा क्या रिश्ता है
आज तुझे अपना कहने को जी करता है !!
जो दर्द हिजर मे रिसते हैं
उस दर्द का तुझे अहसास नहीं !!
जो इश्क मुकाम न पा सका
उस दर्द का पन्ना याद नहीं !!
वक़्त हो चला अब फैसले का पर
तेरी जिद्द के सिवा कुछ पास नहीं !!
जीना मै भी चाहता हूँ तेरे साथ
पर मेरे जीने की अब कोई आस नहीं !!
Monday, November 10, 2008
पाबंदियां
लोग दूसरों पर पाबंदियां लगाते हैं
तुने खुद पर ये ज़ुल्म क्यों ढहाया !!
वो पंछियों को पिंजरों मे डालते हैं
तुने खुद के लिए पिंजरा क्यों बनाया!!
तेरी इन पाबंदियों का मुझ पर जो असर हुआ
देख उन पाबंदियों ने मेरा क्या हाल बनाया !!
मेरे दर्द को तुने भी महसूस किया है हर पल
चाह कर भी मेरे ज़ख्मो पर मरहम क्यों न लगाया !!
Thursday, November 6, 2008
इम्तिहान
Wednesday, November 5, 2008
बचपन के खेल
खेल बहुत बचपन मे खेले पर न जाने ये कैसा खेल हुआ
इक यार ऐसा बना बैठे ना बिछुड़ सके न मेल हुआ !!
दिल अपना टूटा कुछ ऐसे टुकड़े टुकड़े बिखर गया
फिर भी इल्जाम हम पर लगा दिल उनका क्यों तोड़ दिया !!
किसको गिला करे आज शिकवा किस से करे हम
दिल ऐसे टुटा है आज किसे बताएं अपना गम !!
हिम्मत टूट रही है जीने का नहीं मन अब मेरा
भ्रम टूट गया है अब मैं समझा था मैं हूँ तेरा !!
खताएं मेरी माफ़ करना बहुत नादान हूँ मैं
आज आखिरी सलाम कर लूं फिर चलता हूँ मैं !!
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